भूख पेट से निकलकर बड़े घर की बेटी हो गयी

प्रगति की दौड़ में रिश्ते छोड़ दिए अपनों को अपना कहा नहीं स्वार्थ से रिश्ते  जोड़ लिए होड़- दौड़, और दौड़ की इच्छा से मानव को नहीं स्वयंम को भी पीछे छोड़ गए चेहरे के लेप और शरीर की खुशबू हर मुखोटे के आगे झुक गए संस्कार, कर्त्तव्य का […]

तुझसे मिलूं कोनसा मुखोटा डालकर

ज़रा सा आहत होते ही  स्वभाव बदल जाता है  वो कहता है की तू मेरा है  और आलम ये की हर चोट पर  वो बहुत दूर चला जाता है   मुझे मेरी मै से मतलब  तू करीब हो या रिश्ते में मेरी सोच मेरे कदम  […]