तुझसे मिलूं कोनसा मुखोटा डालकर

Last updated on Saturday, April 18th, 2020

ज़रा सा आहत होते ही 
स्वभाव बदल जाता है 
वो कहता है की तू मेरा है 
और आलम ये की हर चोट पर 
वो बहुत दूर चला जाता है
 
मुझे मेरी मै से मतलब 
तू करीब हो या रिश्ते में
मेरी सोच मेरे कदम 
तू फाँसले बना के रख
 
तेरी ख्वाइशों तेरे गमो का 
पनाहगार नहीं 
मैं सकून बेचता हूँ यहाँ
रंगीन लिबास ओढ़कर 
 
मिलता हूँ हर शाम 
आम-ए -ख़ास से
मुझे अपना समझने की भूल ना कर
मुखोटे इतने की खुद को भूल गया 
तुझसे  मिलूं कोनसा मुखोटा डालकर 
 
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डा० सुशील कुमार  
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